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Mehandipur Balaji Temple, Location, History in Hindi, Timings, Origin, Aarti Timings, Things to Do or Do not in and around the Temple

December 4, 2019 by Vijay Choudhary 1 Comment

Mehandipur Balaji Temple, Location, History in Hindi, Timings, Origin, Aarti Timings, Things to Do or Do not in and around the Temple, Best Time to Visit, How to Reach.

About Mehandipur Balaji Temple

The Mehandipur Balaji Temple is a Hindu shrine located in the Dausa district of Rajasthan. It is dedicated to Lord Hanuman whose another popular name is Balaji. This religious site is visited by many pilgrims from different parts of the country all round the year. In front of the Balaji Mandir there is a temple dedicated to Shree Siyaram Bhagvan which has a beautiful idol of Siyaram built inside it. It is believed that a person suffering from evil spirits or sankatwalas get relieved from their trouble on a visit to this temple. They offer bhog of bundi ke laddu to Lord Balaji and urad pulse and rice to Bhairav baba who help them in getting rid of evil spirits. The temple experiences a lot of crowd during Saturdays and Tuesday which are said to be the days of Lord Balaji and many devotees visit the temple to offer their praying to the deity. Apart from organizing various rituals, the temple also helps the deprived people by distributing food among them and is also engaged in various other charitable works. The temple is also known to cure various physical ailments of people and provides them relief from their body pain. The devotees have immense faith on the supernatural powers of Lord Hanuman and their belief has also been proved correct in many cases.

राजस्थान के मेहंदीपुर वाले बालाजी देश ही नहीं दुनियाभर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम भारत देश के राजस्थान राज्य के दौसा जिले मे स्थित है। ये मंदिर श्री राम भक्त हनुमान जी से सम्बन्धित है। क्योंकि हनुमान जी ने बहुत सी लीलाएँ अपने बाल रूप में की हैं इसलिए कुछ स्थानों पर इन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। श्री हनुमान जी महाराज यहाँ पे बाल रूप में विराजमान है। आप सभी भक्तों से निवेदन है कि आप सभी श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम में एक बार अवश्य आएँ और श्री बालाजी महाराज के दर्शन कर उनका आशीर्वाद ग्रहण करें। श्री बाला जी महाराज के दर्शन से ही भक्तो के सभी संकट कट जाते है।ये बात केवल एक मिथ्या है , कि श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम में केवल संकट वाले ही आते है। मेहंदीपुर धाम में भक्तो की सभी प्रकार की मनोकामनाए पूर्ण होती है ।

Location

The temple is situated in Todabhim village, Karauli district near Hindaun city of Rajasthan. The village is situated at the border of two districts- Karauli and Dausa.

The Temple is 66 km from Jaipur city, The distance of Balaji temple is roughly 45 km from Hindaun City railway station and 38 km from Dausa and is very close to the Bandikui railway station. The Hanuman temple is located at only 3 km from the Jaipur – Agra National Highway 11 from Balaji Mod (turn).

The Origin

गीता में भगवान ने कहा है–“जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मेरी कोई शक्ति इस धरा-धाम पर अवतार लेकर भक्तो के दु:ख दूर करती है और धर्म की स्थापना करती है।”भक्त-भय-भंजन, मुनि-मन रंजन, अंजनीसुत श्री बालाजी महाराज जी का घाटा मेंहदीपुर में प्रादुर्भाव इसी उद्देश्य से हुआ है। मर्यादा पुरुषोत्म भगवान श्री राम जी ने परम प्रिय भक्त शिरोमणि पवनकुमार की सेवा भाव से प्रसन्न होकर उन्होने यह वरदान दिया -“हे पवनपुत्र ! कलियुग में तुम्हारी प्रधानदेव के रुप में पूजा होगी। “घाटा मेंहदीपुर में भगवान महावीर बजरंग बली का प्रादुर्भाव वास्तव में इस युग का चमत्कार है।

श्री मेहंदीपुर बालाजी महाराज जी का धाम बहुत ही पावन और चमत्कारिक है। कलयुग में श्री बालाजी महाराज ही प्रधान देव के रूप में हैं। यह स्थान जिला दौसा (राजस्थान) में श्री मेहंदीपुर बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है। जोकि दो पहाड़ियों के बीच बसा है इसलिए दो पहाड़ियों के बीच होने से इन्हें घाटा मेहंदीपुर बालाजी भी कहा जाता है। हनुमान जी ही यहाँ बाल रूप में विधमान हैं। यहाँ श्री बालाजी महाराज, श्री भैरव बाबा जी एवं श्री प्रेतराज सरकार जी साक्षात् विराजमान हैं। श्री बालाजी महाराज के दरबार के सामने ही श्री सीताराम जी का दरबार है। श्री बालाजी महाराज सदा माता सीता जी एवं श्री राम जी का दर्शन करते रहते हैं। यहाँ श्री बालाजी महाराज अपने भक्तो के हर संकट को दूर करते है। यहाँ जो भी भक्त सच्चे मन से अर्जी लगाते हैं बाबा जी उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते है। श्री राम दरबार जी के दरबार से कुछ दूरी पर श्री गणेशपुरी जी का समाधि स्थल है।

जो कि श्री बाला जी महाराज जी के बालपन से ही उपासक थे और प्रथम महन्त गोसाई जी थे उनको भी स्वप्न आया था और अपनी सेवा का भार दिया था। 11 वे महत श्री गणेश पूरी जी हुए जिन्हें हम समाधि वाले बाबा के नाम से बी जानते ह और उन के कार्यकाल में धाम का विस्तार हुआ। जिनका नाम श्री श्री गणेशपुरी जी गोस्वामी था। कोई भी भक्त सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा से श्री बाला जी महाराज के दरबार जाते हैं श्री बाला जी महाराज जी उनको अपने दर से कभी खाली नहीं भेजते। भूत-प्रेत की बाधा, पागलपन, मिर्गी, लकवा,टी.बी., बाँझपन या अन्य किसी भी प्रकार की कोई बीमारी क्यों न हो श्री बालाजी महाराज की कृपा से अति शीघ्र दूर हो जाती है। हालाँकि हम लोग भौतिक विज्ञान के युग में रह रहे हैं किन्तु श्रीबालाजी के स्थान पर आकर आप सब कुछ भूल जाएंगे और तन -मन से श्री चरणो के भक्त बन जाएंगे। जैसा कि कहा गया है- “नास्तिक भी आस्तिक बन जाते हैं, मेंहदीपुर धाम में”

धाम का विवरण

श्री मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर दौसा जिले के मेहंदीपुर धाम में है। इसको घाटा मेहंदीपुर भी कहते है। इस वेबसाइट का निर्माण करने का मुख्य उदेशय ये है, कि कुछ लोग ये सोचते है की श्री मेहंदीपुर बालाजी में सिर्फ संकट वाले लोग/भक्त जिन्हें भूत, प्रेत, चौकी, बंधन एवम् कोई विशेष रोग होता है वो ही आते है। लेकिन ये बात केवल मिथ्या है क्योंकि श्री बाला जी महाराज तो भक्त शिरोमणि हैं और सबका कल्याण करने वाले हैं। वो अपने भक्तों को मन चाहा फल देने वाले और परम कल्याण रूप हैं। इसलिए सभी भक्त श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम जा सकते है।

जैसा कि हम सभी जानते है कि इस कलयुग में प्राणी किसी न किसी संकट से घिरा होता है। वो संकट मानसिक हो सकता है, शारीरिक हो सकता है, आर्थिक हो सकता है एवम् अन्य कोई हो सकता है। तो हमारे बाला जी महाराज जी के धाम में सारे संकट दर्शन मात्र से कट जाते है। हमारे श्री बाला जी महाराज की कृपा से सारी परेशानियां श्री मेहंदीपुर धाम आते ही दूर भाग जाती है और अपार सुख का अनुभव होता है।

तो आप आज ही प्लान करिये श्री बाला जी महाराज जी के अलौकिक एवं परम सुखदायी दर्शन करने का। अपने घर, ऑफिस या मंदिर में जाकर श्री हनुमान जी महाराज से अनुग्रह करे कि श्री बाला जी महाराज जी आपको अपने दरवार में बुलावे। क्योंकि बिना उनकी इच्छा के कोई नही जा सकता श्री बाला जी महाराज के दरवार में।

History

मेहंदीपुर में यहाँ घोर जंगल था। घनी झाड़ियाँ थी, शेर-चीता, बघेरा आदि जंगल में जंगली जानवर पड़े रहते थे। चोर-डाकूऒ का इस गांव में डर था। जो बाबा महंत जी महाराज के जो पूर्वज थे, उनको स्वप्न दिखाई दिया और स्वप्न की अवस्था में वे उठ कर चल दिए उन्हें ये पता नही था कि वे कहाँ जा रहे हैं। स्वप्न की अवस्था में उन्होंने अनोखी लीला देखी एक ऒर से हज़ारों दीपक जलते आ रहे हैं। हाथी घोड़ो की आवाजें आ रही हैं। एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही है उस फौज ने श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरो बाबा, श्री प्रेतराज सरकार, को प्रणाम किया और जिस रास्ते से फौज आयी उसी रास्ते से फौज चली गई। और गोसाई महाराज वहाँ पर खड़े होकर सब कुछ देख रहे थे। उन्हें कुछ डर सा लगा और वो अपने गांव की तरफ चल दिये घर जाकर वो सोने की कोशिश करने लगे परन्तु उन्हे नींद नही आई बार-बार उसी स्वप्न के बारे में विचार करने लगे। जैसे ही उन्हें नींद आई। वो ही तीन मूर्तियाँ दिखाई दी, विशाल मंदिर दिखाई दिया और उनके कानों में वही आवाज आने लगी और कोई उनसे कह रहा बेटा उठो मेरी सेवा और पूजा का भार ग्रहण करो। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा। और कलयुग में अपनी शक्तियाँ दिखाऊॅंगा। यह कौन कह रहा था रात में कोई दिखाई नही दिया।

गोसाई जी महाराज इस बार भी उन्होंने इस बात का ध्यान नही दिया अंत में श्री बालाजी महाराज ने दर्शन दिए और कहा कि बेटा मेरी पूजा करो दूसरे दिन गोसाई जी महाराज उठे मूर्तियों के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि चारों ओर से घण्टा, घडियाल और नगाड़ों की आवाज़ आ रही है किंतु कुछ दिखाई नही दिया इसके बाद गोसाई महाराज नीचे आए और अपने पास लोगों को इकट्ठा किया अपने सपने के बारे में बताया जो लोग सज्जन थे उन्होने मिल कर एक छोटी सी तिवारी बना दी लोगों ने भोग की व्यवस्था करा दी बालाजी महाराज ने उन लोगों को बहुत चमत्कार दिखाए। जो दुष्ट लोग थे उनकी समझ में कुछ नही आया। श्री बाला जी महाराज की प्रतिमा/ विग्रह जहाँ से निकली थी, लोगों ने उन्हे देखकर सोचा कि वह कोई कला है। तो वह मूर्ति फिर से लुप्त हो गई फिर लोगों ने श्री बाला जी महाराज से क्षमा मांगी तो वो मूर्तियाँ दिखाई देने लगी। श्री बाला जी महाराज की मूर्ति के चरणों में एक कुंड है। जिसका जल कभी ख़त्म नही होता है। रहस्य यह है कि श्री बालाजी महाराज के ह्रदय के पास के छिद्र से एक बारिक जलधारा लगातार बहती है। उसी जल से भक्तों को छींटे लगते हैं।

जोकि चोला चढ़ जाने पर भी जलधारा बन्द नही होती है। इस तरह तीनों देवताओं की स्थापना हुई , श्री बाला जी महाराज जी की, प्रेतराज सरकार की, भैरो बाबा की और जो समाधि वाले बाबा हैं उनकी स्थापना बाद में हुई। श्री बालाजी महाराज ने गोसाई जी महाराज को साक्षात दर्शन दिए थे। उस समय किसी राजा का राज्य चल रहा था। समाधि वाले बाबा ने ही राजा को अपने स्वपन की बात बताई। राजा को यकीन नही आया। राजा ने मूर्ति को देखकर कहा ये कोई कला है। इससे बाबा की मूर्ति अन्दर चली गयी। तो राजा ने खुदाई करवायी तब भी मूर्ति का कोई पता नही चला। तब राजा ने हार मानकर बाबा से क्षमा मांगी और कहा हे श्री बाला जी महाराज हम अज्ञानी हैं मूर्ख हैं हम आपकी शक्ति को नही पहचान पाये हमें अपना बच्चा समझ कर क्षमा कर दो। तब बालाजी महाराज की मूर्तियाँ बाहर आई। मूर्तियाँ बाहर आने के बाद राजा ने गोसाई जी महाराज की बातों पर यकीन किया, और गोसाई जी महाराज को पूजा का भार ग्रहण करने की आज्ञा दी। राजा ने श्री बाला जी महाराज जी का एक विशाल मन्दिर बनवाया। गोसाई जी महाराज ने श्री बाला जी महाराज जी की बहुत वर्ष तक पूजा की, जब गोसाई जी महाराज वृद्धा अवस्था में आये तो उन्होंने श्री बालाजी महाराज की आज्ञा से समाधि ले ली। उन्होंने श्री बाला जी महाराज से प्रार्थना की, कि श्री बाला जी महाराज मेरी एक इच्छा है कि आपकी सेवा और पूजा का भार मेरा ही वंश करे। तब से आज तक गोसाई जी महाराज का परिवार ही पूजा का भार सम्भाल रहे हैं। यहाँ पर लगभग 1000 वर्ष पहले बाला जी प्रकट हुए थे। बालाजी में अब से पहले 11 महंत जी सेवा कर चुके हैं। इस तरह से बालाजी की स्थापना हुई। ये तो कलयुग के अवतार हैं संकट मोचन हैं मेहंदीपुर के आस-पास के इलाके में संकट वाले आदमी बहुत कम हैं। क्योंकि लोगों के मन में बालाजी के प्रति बहुत आस्था है। कहते हैं- जिनके मन में विश्वास है, बालाजी महाराज उन्ही के संकट काटते हैं।

भोग एवं आरती

श्री बाला जी महाराज के दरवार में दरखास्त क्या होती है? अर्जी क्या होती है? सवामणि क्या होती या प्रसाद घर लाना चाहिए या नही?

तो आइये जानते श्री बाला जी महाराज जी के भोग के विषय में-

  • दरखास्त
  • अर्जी
  • सवामणि
  • राज भोग
  • श्री बालाजी महाराज का जल
  1. दरखास्त :-

भक्तो श्री मेहंदीपूर धाम में हर भक्त को दरखास्त लगानी चाहिए ये दरखास्त आपको मंदिर परिसर के पास किसी भी दुकान से मिल जाती है। इस दरखास्त में लड्डू, बतासे ओर घी होता है ये 10 रुपये की आती है दरखास्त का सर्व-प्रथम भोग श्री बाला जी महाराज जी का भोग लगता है फिर भैरो बाबा और फिर प्रेतराज सरकार का भोग उसके बाद सभी भक्तो वो दरखास्त का दौना अपने उपर से उतार कर मंदिर परिसर के बाहर एक स्थान है वहाँ पे पशु-पक्षियों के लिए डाल दिया जाता है मेहन्दीपुर धाम में जब हम जाए तो आने की दरखास्त, और जब वहाँ से वापिस आएँ तो वापिस आने की दरखास्त, यदि कोई भक्त कम समय की वजह से दुबारा दर्शन नही कर पा रहे है तो वो भक्त आने-जाने की दरखास्त एक बार में भी लगा सकते है और वहाँ पे ऐसी मान्यता है कि की दरखास्त हर भक्त को लगनी चाहिए।

  1. अर्जी :-

यदि हमारी कोई मनोकामना है या कोई प्राब्लम है तो उसके लिए हम श्री बाला जी महाराज जी के मंदिर में अर्जी लगाते है। अर्जी 281 रूपये की लगती है जिसमे बाला जी महाराज का लड्डू का भोग, भैरो बाबा का काली उर्द का भोग और प्रेतराज सरकार का चावल का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की जब अर्जी स्वीकार हो जाती है तो कुछ भक्त बाबा के दरवार में सवामणि करते है ओर कुछ भक्त हर बार सवामणि करते है। अर्जी का भोग लगाने का टाइम प्रातः 7:30 से 12:00 बजे तक होता है अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार सवामणि का भोग लगाते है।

नोट : – एकादशी के दिन श्री बाला जी मंदिर मे अर्जी का भोग नही लगता। यदि आपका अर्जी लगाना बेहद आवश्यक है तो आप लाल कपड़े में 281 रुपये बाँधकर श्री बाला जी महाराज के मंदिर मे अर्पित करें। क्योंकि अर्जी के भोग में प्रेतराज सरकार जी का चावल का भोग लगता है और एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। इसलिए एकादशी के दिन अर्जी नही लगती है।

  1. सवामणि :-

श्री बालाजी महराज से मांगी कामना पूरी होने पर सवामणि का भोग लगाया जाता है । सवामणि के प्रसाद में हलुआ पूड़ी एवं लड्डू पूड़ी का भोग लगता है । सवामणि के भोग लगने का समय 11.30 बजे से लगभग 2.00 बजे तक होता है । सवामणि का भोग तीनो देव श्री बाला जी महाराज जी, श्री भैरव बाबा जी और श्री प्रेतराज सरकार जी का लगता है । सवामणि श्री राम दरबार में स्थित श्री राम दूत प्रसाद समिति द्वारा अथवा मंदिर के बहार किसी भी दूकान पर आर्डर करने पर आपको प्राप्त हो जाएगी । सवामणि का भोग स्वयं दरबार आकर लगवाना चाहिए ।

  1. राज भोग :-

राजभोग मंदिर परिसर मे ट्रस्ट द्वारा लगाया जाता है जिसका भोग श्री बाला जी महाराज को लगाया जाता है, फिर सभी भक्तो को श्री बाला जी महाराज जी के दर्शन बाद राज भोग का प्रसाद मिलता है। भक्तो राज भोग अमृत होता है हमारे बालाजी महाराज जी का। राज भोग श्री बाला जी महाराज के भवन मे मिलता है ओर सभी भक्तो को प्रेम पूर्वक खाना चाहिए एवं घर ले जाना चाहिए।

  1. श्री बालाजी महाराज का जल :-
    श्री बालाजी के मंदिर की विशेषता है कि बालाजी मंदिर में सुबह और शाम को आरती के बाद बाबा के जल के छींटे मिलते है। जिस किसी व्यक्ति को इस जल के छींटे मिलते है वह बहुत भाग्यशाली होते है, क्योंकि बालाजी का जल अमृत समान है। श्री बालाजी महाराज की बाईँ ओर हृदय के नीचे से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती रहती है जो पर्याप्त चोला चढ जाने पर भी बंद नही होती। भक्तजन यदि चाहे तो बाबा जी का जल का वितरण केवल सुबह 8 बजे से 10 तक होता है । जल का वितरण समाधि वाले बाबा के पास होता है।

आरती का समय : ग्रीष्म कालीन 

श्री राम दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:00 से 6:15
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:00 से 7:15
श्री बाला जी दरवार
ग्रीष्म कालीन: सुबह 6:15 से 6:45
ग्रीष्म कालीन: शाम 7:15 से 7:45

आरती का समय : शीत कालीन 

श्री राम दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:10 से 6:25
शीत कालीन: शाम 6:20 से 6:35
श्री बाला जी दरवार
शीत कालीन: सुबह 6:25 से 6:55
शीत कालीन: शाम 6:35 से 7:05

आरती के संपूर्ण होने पर श्री बाला जी महाराज के जयकारों से पूरा मेहंदीपुर धाम गूँज उठता है और कुछ ही समय पश्चात श्री बाला जी महाराज के जल के छींटे मिलते है। छींटे मिलने के कुछ समय बाद श्री बाला जी महाराज जी के छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया जाता है ।

छपन्न भोग के प्रसाद के मिलने का समय :

श्री बालाजी महाराज के छप्पन भोग के प्रसाद का वितरण श्री बालाजी महाराज के गर्भ गृह में सुबह ११ बजे के बाद होता है एवं श्री सीताराम जी के छप्पन भोग का प्रसाद श्री राम दरवार में 8.30 बजे से मिलता है।
श्री प्रेतराज सरकार के दरबार में दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक भजन कीर्तन होता है । भक्त अपना समय व्यर्थ न करके भजन कीर्तन का आनंद ले सकते है ।
श्री बालाजी महाराज जी की आरती के ठीक बाद समाधी वाले बाबा की आरती होती है । समाधी वाले बाबा का दिन में 12 बजे जलेबी का भोग लगता है। दिन में 12 बजे समाधी वाले बाबा के ठीक सामने हवन स्थली पर हवन होता है तथा आरती होती है भक्त वहां जाकर आरती के छींटे तथा परिक्रमा लगा सकते है।

नोट : ये सब जानकारी हमने अपने निजी अनुभव से बताई यदि कोई त्रुटि हो तो कृपया सूचित करे। कृपया हमको बताए यदि कोई जानकारी सही ना हो या फिर कोई जानकारी रह गयी हो। ये हम सभी का एक बहुत छोटा सा प्रयास है श्री बाला जी महाराज जी की सभी जानकारियाँ आप सभी भक्तो तक पहुचाने का। आपके विचारो का सादर स्वागत है जी।

Things to Do or Do not in and around the Temple

The visitors who come to visit the temple must also explore the other adjoin temples here like the Nilkanth Mahadev Temple, Kaila Devi Temple, Pratap Vatika and the famous Mataji ka Mandir.

  • Do not eat or drink anything inside the temple premises and strictly say ‘No’ to food pushers there.
  • Empty all the food packets, water bottles as you leave the village.
  • Do not talk to strangers or even accidentally try to touch inside the temple.
  • Prashad can be shared with your family.
  • A traveller should not eat meat, onions etc. just before visiting the temple.

कुछ महत्वपूर्ण नियम:-

जैसा कि हम सभी भक्त जानते है कि भक्त शिरोमणि श्री बाला जी महाराज नियम या कायदा नही देखते है। श्री बालाजी महाराज जी हमारे मन का भाव देखते है। जैसा कि आजकल हमे फेसबुक एवं अन्य वेबसाइट पे देखने को मिलता है कि ये करना चाहिए, ये नही करना चाहिए? भक्तो इन सब में ध्यान न देकर आप बस अपने मन में श्री राम जी का नाम लीजिये। और श्री बालाजी महाराज के दरवार में आ जाइए। वहां पे सारे संकट पल भर में कट जाते है जी। हमारे श्री बाला जी महाराज जी बड़े ही दयालु है। उनके लिए सारे भक्तगण एक समान है चाहे वो पिछले 50 साल से बालाजी धाम आ रहा हो या पहली बार आया हो। फिर भी कुछ निम्न नियम है आप से विनम्र निवेदन है अगर आपको सही लगे तो कृपया इनका पालन अवश्य कीजिये जी।

  • श्री बालाजी महाराज जी के दर्शन हेतु जाने वाले यात्रियों एवं श्रध्दालुओ को निम्नलिखित नियमो का पालन करना चाहिए ..
  • सवेरे तथा शाम के समय सभी यात्रियो को श्री बालाजी महाराज जी के सम्मुख उपस्थित होना चाहिए तथा ध्यानपूर्वक भक्तिभाव से हरि कीर्तन व भजन सुनने और गाने चाहिए।
  • समस्त श्रध्दालुओ को वहाँ रहते हुए दूसरे यात्रियो व श्रध्दालुओ के साथ स्नेह्पूर्ण व सहानभूति का व्यवहार रखना चाहिए।
  • आरती के बाद सभी श्रध्दालुओ को श्री महन्त जी तथा अन्य भक्तो के साथ मिलकर दैनिक प्रार्थना-वन्दना करनी चाहिए।
  • यहाँ आकर धैर्यपूर्वक रहना चाहिए तथा व्यर्थ का वार्तालाप नही करना चाहिए और श्रध्दापूर्वक प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
  • जिन रोगियो को मार पड़ती हुई हो उनके लिए आस-पास की जगह खाली छोड देनी चाहिए तथा समस्त उपस्थित भक्तो को जयकारो व भजनो के अलावा कोई भी वर्तालाप नही करना चाहिए।
  • सभी श्रध्दालुओ को श्री प्रेतराज सरकार जी के दरबार मे जाना चहिए और श्री महन्त जी के आदेश का पालन करना चाहिए और पूजा में व्यवधान नही डालना चाहिए।
  • आरती सम्पूर्ण होने पर श्रध्दालुओ को ध्यानपूर्वक एवं श्रद्धा-भाव से श्री बालाजी की स्तुति प्रेम पूर्वक गानी चाहिए। श्रध्दालुओ को अपने हाथ से कोई भी पूजन सामग्री छूनी नही चाहिए।
  • श्रध्दालुओ को चाहिए कि वे जब तक वहाँ रहे पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन करे तथा माँस,मदिरा,प्याज आदि का सेवन न करे।
  • मेहंदीपुर बालाजी दरबार मे (मुख्य मंदिर) के अन्दर बालाजी महाराज का प्रसाद (दो लड्डूऔ का पैकेट) प्रत्येक भक्त को श्रध्दापूर्वक दिया जाता है। यात्री उसे स्वयं ग्रहण करे तथा घर ले जाकर परिवार मे बाँट सकते है।
  • श्री मेहंदीपुर धाम में किसी भी पंडित, ओझा या व्यक्ति विशेष के द्वारा संकट नही काटा जाता है यहाँ संकट श्री बाला जी महाराज ही काटते है तो कृपया किसी के भी बहकावे में आकर अपना धन एवं समय नष्ट न करे। बाला जी महाराज पे पूर्ण विश्वास करें वो ही आपका संकट काटेंगे। किसी भी प्रकार अन्य जानकारी के लिए मंदिर के कार्यालय या दरवार के महंत जी या पुजारी जी से सम्पर्क करे।

Best Time to Visit

Plan your trip to this holy temple during the festivals of Holi, Dusshera and Hanuman Jayanti when a grand festival is organized in the temple.

How to Reach

Air: यदि आप हवाई जहाज के माद्यम से आना चाहते है तो आप जयपुर या दिल्ली तक आ सकते है हवाई जहाज से । वहां से श्री मेंहन्दीपुर धाम आएं । जयपुर एवं दिल्ली से डायरेक्ट बस सेवा एवं प्राइवेट टेक्सी आसनी से मिल जाती है । जयपुर से बाला जी धाम तकरीवन 100 किमी है जबकि दिल्ली से 260 किमी है ।

Train: यदि आप ट्रैन से आना चाहते है तो आप बांदीकुई स्टेशन से श्री मेहंदीपुर धाम आ सकते है सबसे पास यही रेलवे स्टेशन है । बांदीकुई से 40 किमी की दुरी पे मेहंदीपुर धाम का रास्ता है और वहां से २४ घंटे कोई न कोई सुबिधाजनक वहां मिल जाता है श्री मेहंदीपुर धाम तक पहुचने के लिए । दिल्ली से रोजाना 8-10 ट्रैन चलती है बांदीकुई तक पहुचने के लिए । आप जयपुर , कानपूर , बरेली , आगरा , मथुरा , लखनऊ , चंडीगढ़ , एवं कुछ अन्य मुख्या शहर से डायरेक्ट ट्रैन चलती है बांदीकुई तक के लिए। आपको इंडियन रेलवे की वेबसाइट पे डेस्टिनेशन में “BKI” कोड डालना होता है और आप बांदीकुई तक की ट्रैन देख सकते है ऑनलाइन.

Road: यदि आप बस से आना चाहते है तो, इस समय श्री मेहंदीपुर धाम के लिए चारो तरफ से बस की सेवा उपलब्ध है । आप मथुरा , जयपुर , हिंडौन , करौली , दिल्ली , नॉएडा , गुडगाँव , रेवाड़ी , अलवर , अलीगढ , बरेली , एवं अन्य सिटी से डायरेक्ट बस सेवा है । बस आपको श्री मेहंदीपुर धाम से 2 KM पहले श्री बाला जी मोड़ पे छोड़ देती है और श्री बाला जी मोड़ से 24 घंटे जीप सेवा उपलब्ध रहती है |

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Filed Under: News Tagged With: Mehandipur Balaji

Comments

  1. Pradeep Dubey says

    October 13, 2019 at 6:07 pm

    जय श्री बालाजी महाराज
    यहाँ पर समाधि वाले बाबा के पास बालाजी महाराज का जो पवित्र जल दिया जाता हैं, उसको वही के कुछ कर्मचारी भक्तों से रुपये पैसे लेकर बिना लाइन में लगाए 3-4 डिब्बे दे देते हैं, यदि कोई इसका विरोध करता है तो वो कर्मचारी उस भक्त के साथ अभद्र व्यवहार करता है।
    उन कर्मचारी के नाम है, तिवारी जी मीणा जी एवं………… अन्य

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